टेलिफोन क्या ले ली
कोई मुसीबत ही मोल ले ली
जब मन करता है
तभी बज उठता है
न दिन देखता है न रात
न धूप देखता है न बरसात
अपना तो पता नहीं कुछ लाभ हुआ या नहीं
फायदा तो उठा रहे हैं हमारे पड़ोसी
जब देखो तभी पहुंच जाते हैं
कहते हैं फोन करना है जरूरी
एक आदमी है पड़ोसियों को बुलाने के लिए रख ली
पता नहीं कब बज जाए फोन की घंटी और कहे
जरा बुला दीजिए पड़ोस से मेरी घरवाली
न बुलाएं तो पता नहीं
किस-किस से हो जाए मन-मुटाव और दुश्मनी
फोन डेड हो जाए फिर तो भगवान ही बचाए
लाइनमैन के नखरे दिखाए
बिल की तो बात ही मत पूछिए
महीना खत्म हुआ नहीं कि आ टपका
लग गया चूना हजार-दो हजार का
बिल चुका-चुका के
हो गया मेरा बैंक बैलेंस खाली
टेलिफोन क्या ले ली
कोई मुसीबत ही मोल ले ली
@प्रकाश कुमार झा
भागलपुर
९४३१८७४०२२
Very nice. Memories recalled.
जवाब देंहटाएंBeautifully expressed your feelings through words.