मंगलवार, 20 दिसंबर 2022

मिथिला महिमा

 मिथिला देश निवासी छी हम

मैथिली हमर भाषा

सातो जनम अही ठाम हो

इएह  हमर अभिलाषा

मिथिला देश ........

जानकी, विद्यापति, सलहेस

सन-सन अपन धरोहरि

जत' भारती, मंडन, अयाची

के रहल अछि बासा

मिथिला देश........

कुशेसर, बिदेसर, सिंहेसर

संग बाबा कपिलेसर

उग्रतारा, उचैठ भगवती

शिव-शक्ति सं आशा

मिथिला देश........

गंगा, गंडक, कमलाक

बहैत अछि धार

बागमती, बलान, महानंदा

कोसी कात सहरसा

मिथिला देश.........


@प्रकाश कुमार झा

आकाशवाणी, भागलपुर

9431874022


सोमवार, 19 अक्टूबर 2020

कोरोना काल (गीत)


मैया एलौं  कोना इ कोरोना काल मे
बझल अछि दुनियां कोन जंजाल मे ना

केहेन समय छै ने कहियो देखल 
एहेन दुर्दिन ने आई धरि सोचल
देखू कोना लोके सं लोक डेरायल छै
कतेक दर्द भक्तक एहि सवाल मे ना
मैया एलौं अहां.......... 

नौकरी-चाकरी सब छै छूटल
जन-मजूर भेल घर सं बेघर
विनती करैत बेरोजगारी सं घेराएल छै
बाले-बच्चे भूख सं बेहाल भेल ना
मैया एलौं अहां...........

धिया-पुता के स्कूलो बंद छै
मंद पड़ल देश-दुनियांक व्यापार
सरकारोक सुधि-बुधि हेराएल छै
चहुँ दिस मचल कोन बवाल छै ना
मैया एलौं अहां...........

चुनावक सभा पर नहिं छै पहरा
वोटक लेल कोरोनो भागल
मुदा पूजा-पाठ मेला सं डेराएल छै
अपना देशक नेता सभ कमाल छै ना
मैया एलौं अहां...........

©प्रकाश कुमार झा 
आकाशवाणी, भागलपुर

गुरुवार, 15 अक्टूबर 2020

मेरा मन💕 रो रहा है


मेरा मन रो रहा है
ये तन-बदन रो रहा है
सारे जहाँ के साथ
मेरा वतन रो रहा है
मेरा मन रो रहा है ।।

कोई तो बताए जरा
क्या गुनाह है उसका
जो वतन परस्ती में
अपनी जान खो रहा है
मेरा मन रो रहा है ।। 

उन वीरांगनाओं की खता
बताओ बूढ़ी माँ का दोष
उस बच्चे की गलती जो
अपनों के शव ढ़ो रहा है
मेरा मन रो रहा है ।। 

इंसानों की बस्ती में
शैतानों का आ जाना
पाक-चीन की सह पर
मौत का तांडव हो रहा है
मेरा मन रो रहा है ।। 

कोई शोक मनाना है
कोई निन्दा करता है
राजनीति करता हुआ
पक्ष-विपक्ष सो रहा है
मेरा मन रो रहा है  ।।

© प्रकाश कुमार झा
आकाशवाणी, भागलपुर 

सोमवार, 14 सितंबर 2020

माँ/माँ

डाॅक्टर अपन मरीज सं कहलखिन्ह - जानकी,  चूंकि अहां  पहिल बेर मां बनलौंह अछि तैं हम अहां के एकटा जरूरी सलाह द दैत छी । ध्यान राखब जे बच्चा के अगिला छः मास धरि मात्र अपने दूध पियेबै।  मां के दूध बच्चाक लेल अमृत होइत छैक।  छः मासक उपरान्त अपन दूधक संग किछु बाहरो के पदार्थ द सकै छी। 
ई कहैत डाॅक्टर बाहर निकलि गेलाह ।
जानकीक मां सेहो ओहिठाम रहथिन्ह।  डाॅक्टर के  गेलाक उपरान्त ओ अपन झोरा स दूधक बोतल निकालि बेटी दिश बढ़बैत अपन उपदेश देलखिन्ह :'बेटी अहां पहिनेहें बड्ड कमजोर भ' गेल छी ताहि द्वारे बच्चा के अपन दूध नञि पियायब । गायक दूध सेहो बड्ड गुणकारी होई छैक । डाॅक्टर सब त अहिना कहै छै , ओकरा सबके किछु लगै छै । हमरा अहांक शरीरक चिन्ता अछि तैं एकरा गायक दूध दियौ।'
मायक सलाह मानैत जानकी अपन बच्चा के मुंह मे बोतल लगा देलखिन्ह ।

©प्रकाश कुमार झा 
भागलपुर 
9431874022

पांति

एक गोट IAS अधिकारी के पुत्र सुनील कुमार सेहो IAS भ गेलाह । संजोग स IAS अधिकारीक पिता सेहो किछु वर्ष पहिने प्रशासनिके सेवा स रिटायर भेल छलाह । अर्थात हिनका सबहक लगातार तेसर पीढ़ी प्रशासनिक सेवा मे जा रहल छल। एहि खुशी मे सुनील कुमार जी निर्णय लेलनि जे भोज-भात मे टाका व्यर्थ कर' स नीक जे जारक मौसम मे गरीब सबहक बीच कम्बलक वितरण करी।  एहि प्रकार अपन पिता स विचार-विमर्श केलाक उपरान्त ओ एकटा नीक दिन देखि बगले के एकटा गामक  स्कूल मे कम्बल वितरण लेल कैम्प लगेलाह । आ एहि प्रकार कम्बलक वितरण आरम्भ भेल।  ओहि गामक गरीब-गुरबा सब पांति मे ठाढ़  भ अपन-अपन बारी के प्रतीक्षा कर' लागल । सुनील कुमार जी अपने हाथे सबके कम्बल दान कर' लगलाह । जखन ओ लगभग दू-तीन सौ कम्बल दान क चुकलाह तखन हुनकर ध्यान गेलैन्ह जे किछु लोक दोबारा-तेबारा लाइन मे लाइग कम्बल ल रहल छल ।

ओ चिकर' लगलाह - अएं हौ तोरा सबके कनिको लाज नहिं होय छह?  

की भेल मालिक?  लाइन मे लागल एक टा गरीब हुनका पुछलकन्हि। 

सुनील बाबू - की भेल मालिक,  तों हमरा सं पुछै छह?  पूछहक ने अपना आगा - पाछा जे पांति मे ठाढ़ छह तकरा सबके? 

फेर कियो बाजि उठल - नहिं बुझलौंह मालिक कनी फरिछा क कहियौ ने। 

सुनील बाबू आर तसमा गेलाह - देखै नहिं छहक, कैक गोटे दू-दू, तीन-तीन बेरि लाइन मे लागि कम्बल ल लेलक अछि।  अहुना कतौ होई?  एना जे किछु गोटे एक स बेसी कम्बल ल लेताह त सब जरूरतमंद धरि मदति पहुंच सकतै ?

लाईन मे स एक टा नवयुवक राजेश जे पढ़ल-लिखल छल आ प्रतियोगिता सबहक तैयारी करैत छल, तकरा नहिं रहल गेलै आ बाजि उठल - एतेक किएक तमसाई छीयै सर?  

सुनील बाबू - तों चुप रह,  तोरा किछु कहलियौ ?

राजेश - हयौ सर एकटा कियो बेसिए ल लेलक ताहि मे एतेक तमसेबाक कोन काज, लेबए दियौ ।

बड़का एलाहा पंचैती कर' - सुनील बाबू पसीना पोछैत बाजए लगलाह । तों की बुझबही ? तों त अपन कम्बल ल चलि जेबएं आ जे लोक सब पाछा मे ठाढ़ अपन-अपन बारी के प्रतीक्षा क' रहल अछि तकर की?  एना जे सब कियो बेसी-बेसी ल लेतै त पाछाक लोक धरि मदति पहुंच सकतै ?

राजेश - बात अहांक उचित अछि। मुदा एकटा बात कहब त तमसेबै नै ने? 

सुनील बाबू - हं कह ने,  की बात? 

राजेश - नञि कहब अहां तसमा जाएब आ हमरा कम्बलो नञि देब। 

सुनील बाबू - हे-हैया ले तोहर कम्बल।  चल आब कह। 

राजेश - त सुनू , जे काज एहि ठाम कम्बल पएबा लेल किछु लोक क रहल अछि वैह काज त अहूं कैलौंह अछि। 

सुनील बाबू - से कोना रौ , हमरा कत' तों कम्बलक लाइन मे ठाढ़ देखलैंह? 

राजेश - हम कम्बलक नञि , नौकरीक लाइनक गप्प क' रहल छी। 

सुनील बाबू - नौकरी सं कम्बल के की संबंध,  कनी फरिछा क कह। 

बहस ततेक बढ़ि गेल जे आस-पासक लोक सब सेहो जमा भ गेल।  कम्बल वितरण सेहो ठमकल छल। 

राजेश - नौकरी आ कम्बल के कोनो सम्बन्ध नहिं छै सर।  संबंध छै दुनू ठाम लाइन मे लागल अंतिम व्यक्ति धरि लाभ पहुंचबा सं। 

सुनील बाबू - हमरा किछु नञि बुझाएल।  इ सब छोड़ हमरा पर जे तों आरोप लगेलैं तकरा फरिछा ।

राजेश - सैह त कहि रहल छी सर।  अहांक परिवार सं अहां लगातार तेसर पुस्त छियै जे प्रशासनिक सेवा धरि पहुंच अपन परिवार,  समाज आ गामक नाम रौशन केलियेई अछि। एकर अलावे अहांक परिवार सं अनेक सदस्य सब केन्द्र आ राज्य सरकारक विभिन्न पद के सुशोभित क रहल छथि। बेर-बेर अहां सब भारतक संविधान द्वारा भेटल आरक्षणक लाभ उठा रहल छी। एना जे खाली अहीं सब वा अहां सन किछु परिवार आरक्षणक लाभ लैत रहतै त हमरा सन लोक अथवा एहि पांति मे ठाढ़ अंतिम व्यक्ति धरि ओकर लाभ कोना पहुंचतै । 

सुनील बाबूक मूंह-कान लाल भ गेलैन्ह ।

राजेश पुनः बाजल - हम कोनो नव बात नहिं कहलौंह सर अहां जे कहलियै तकरे समर्थन कैलौंह। 

एतेक सुनैत देरी अगल-बगलक भीड़ सं थोपरी के आवाज गनगना उठल आ सुनील बाबू पुनः कम्बलक वितरण मे लागि गेलाह ।

©प्रकाश कुमार झा 
भागलपुर 
मो० 9431874022


शनिवार, 25 जुलाई 2020

फतबा

खट्टर कक्का अपन दलान पर बैसल दतमनि क रहल छलाह । तखने पूब दिस सं उदन आ पश्चिम दिस सं सरोज के अबैत देखलखिन्ह ।

खट्टर कक्का - आबह आबह उदन । बड्ड दिन पर देखलियह । अरे सरोज तोंहो छह?  आबै जाह,  बैसह ।

एक्के संग सरोज आ उदन - गोर लगै छी खट्टर कक्का ।
खट्टर कक्का  - खूब नीके रहय जा।  सब दिन  अहीना दनदनाइत रह'।  बैसह तों सब,  हम कुर्रा केने अबै छी। 

खट्टर कक्का क'ल पर जा कुर्रा कएलाह आ अबैत- अबैत अपन पोती के चिकरि क तीन कप चाह बना क' आनए कहि देलखिन्ह ।

खट्टर कक्का  -  आब सुनाबह तों सब । की कोनो खास प्रयोजन? 
सरोज - जी खट्टर कक्का,  एकटा खास काज सं आएल छलौंह ।
खट्टर कक्का  - हं बाजह ने।  कोन काज छह? 
सरोज - कक्का आई सांझ मे पांच बजे सं #मैथिली ट्वीटर पर ट्रेंड करेबाक छै । तैं अहां सं विशेष आग्रह अछि जे एहि मे हमरा सबके सहयोग करियौ ।
खट्टर कक्का - हौ आई-काल्हि देखै छियै खूब लोक सभ ट्वीटर -ट्वीटर क' रहल अछि।  हम त ओतेक बुझबो नहिं करै छियै ।
सरोज - कक्का अहां के हम सब बुझा देब । अहां  कनी अपन टोलक लोक सब के एक बेर अवश्य एकर सूचना द' देबैन्ह । अहांक बात सब मानै छथि ।
खट्टर कक्का - हं हौ । हम अहि सब मे पाछा रहै छी?  हम सबके समाद पठा देबह । 
 
एहि मध्य खट्टर कक्का के पोती चाह ल'  एलीह ।

खट्टर कक्का - लै जाह चाह पीबह ।
खट्टर कक्का - उदन तों किएक चुप बैसल छह।  अपन सुनाबह । तोंहो कनी अपना टोल मे सरोजक बात के चर्च क दिहक ।
उदन - नहिं खट्टर कक्का,  हमर सबहक अलग संगठन अछि 'मिथिला कल्याण'।  हमर सबहक ट्रेंड अगिला रवि क' छैक । सरोज जी सब त 'मिथिला महिमा' सं जुड़ल छथि। 
खट्टर कक्का - अएं हौ एना किएक ? की मिथिला कल्याण के मैथिली अलग आ मिथिला महिमा के मैथिली अलग छैक ?
उदन - अलग त नहिं छैक कक्का,  मुदा हमर संगठन आह्वान कैलक अछि जे हमरा लोकनि अझुका ट्रेंड मे भाग नहिं ली। 
खट्टर कक्का - वाह, तों सब त बड्ड तरक्की कैलह । मिथिलो मे आब 'फतबा' संस्कृति आनि देलह ।

©प्रकाश कुमार झा
आकाशवाणी, भागलपुर 
मो.नं. 9431874022

शनिवार, 4 जुलाई 2020

धन्यवाद वाजपेयी जी


नव भारत टाइम्स, नई दिल्लीक 26 अप्रैल, 2003 अंक मे हमरा द्वारा लिखित प्रधानमन्त्री क नाम पत्र प्रकाशित भेल छल। ओही वर्ष 22 दिसम्बर क मैथिली के संविधानक अष्टम अनुसूचि मे सम्मिलित करबाक बिल लोकसभा मे पारित भेल।  

मिथिला महिमा

 मिथिला देश निवासी छी हम मैथिली हमर भाषा सातो जनम अही ठाम हो इएह  हमर अभिलाषा मिथिला देश ........ जानकी, विद्यापति, सलहेस सन-सन अपन धरोहरि ज...